Thursday, 26 February 2015

लाल किताब के अचूक उपाय

प्रत्येक जातक की कुंडली में अशुभ ग्रहों की स्थिति अलग-अलग रहती है, परंतु कुछ कर्मों के आधार पर भी ग्रह आपको अशुभ फल देते हैं। व्यक्ति के कर्म-कुकर्म के द्वारा किस प्रकार नवग्रह के अशुभ फल प्राप्त होते हैं, आइए जानते हैं :

चंद्र : सम्मानजनक स्त्रियों को कष्ट देने जैसे, माता, नानी, दादी, सास एवं इनके पद के समान वाली स्त्रियों को कष्ट देने एवं किसी से द्वेषपूर्वक ली वस्तु के कारण चंद्रमा अशुभ फल देता है।

बुध : अपनी बहन अथवा बेटी को कष्ट देने एवं बुआ को कष्ट देने, साली एवं मौसी को कष्ट देने से बुध अशुभ फल देता है। इसी के साथ हिजड़े को कष्ट देने पर भी बुध अशुभ फल देता है।

गुरु : अपने पिता, दादा, नाना को कष्ट देने अथवा इनके समान सम्मानित व्यक्ति को कष्ट देने एवं साधु संतों को कष्ट देने से गुरु अशुभ फल देता है।

सूर्य : किसी का दिल दुखाने (कष्ट देने), किसी भी प्रकार का टैक्स चोरी करने एवं किसी भी जीव की आत्मा को ठेस पहुँचाने पर सूर्य अशुभ फल देता है।

शुक्र : अपने जीवनसाथी को कष्ट देने, किसी भी प्रकार के गंदे वस्त्र पहनने, घर में गंदे एवं फटे पुराने वस्त्र रखने से शुभ-अशुभ फल देता है।

मंगल : भाई से झगड़ा करने, भाई के साथ धोखा करने से मंगल के अशुभ फल शुरू हो जाते हैं। इसी के साथ अपनी पत्नी के भाई (साले) का अपमान करने पर भी मंगल अशुभ फल देता है।

शनि : ताऊ एवं चाचा से झगड़ा करने एवं किसी भी मेहनतम करने वाले व्यक्ति को कष्ट देने, अपशब्द कहने एवं इसी के साथ शराब, माँस खाने पीने से शनि देव अशुभ फल देते हैं। कुछ लोग मकान एवं दुकान किराये से लेने के बाद खाली नहीं करते अथवा उसके बदले पैसा माँगते हैं तो शनि अशुभ फल देने लगता है।

राहु : राहु सर्प का ही रूप है अत: सपेरे का दिल ‍दुखाने से, बड़े भाई को कष्ट देने से अथवा बड़े भाई का अपमान करने से, ननिहाल पक्ष वालों का अपमान करने से राहु अशुभ फल देता है।

केतु : भतीजे एवं भांजे का दिल दुखाने एवं उनका हक ‍छीनने पर केतु अशुभ फल देना है। कुत्ते को मारने एवं किसी के द्वारा मरवाने पर, किसी भी मंदिर को तोड़ने अथवा ध्वजा नष्ट करने पर इसी के साथ ज्यादा कंजूसी करने पर केतु अशुभ फल देता है। किसी से धोखा करने व झूठी गवाही देने पर भी राहु-केतु अशुभ फल देते हैं।

अत: मनुष्य को अपना जीवन व्यवस्‍िथत जीना चाहिए। किसी को कष्ट या छल-कपट द्वारा अपनी रोजी नहीं चलानी चाहिए। किसी भी प्राणी को अपने अधीन नहीं समझना चाहिए जिससे ग्रहों के अशुभ कष्ट सहना पड़े।

लाल किताब के अनुसार सरल उपाय

हम सभी जानते है की कुंडली कुल बारह भाव होते है सभी भावे के अलग-अलग स्वामी होते है … आप अपनी कुंडली में खुद ही देर्ख सकते है की किस भाव में कौन सा गृह ख़राब है , और उसका उपाय कैसे करें. जहाँतक हो सके उपाय किसी विद्वान पंडित से ही कुंडली दिखाकर कराएँ अन्यथा लाभ के बजे हनी भी हो सकती है .

लाल किताब के अनुसार जिस ग्रह से संबंधित वस्‍तुओं को॰ प्रथम भाव में पहुंचाना हो उसे गले में पहनिए॰ दूसरे भाव में पहुंचाने के लिए मंदिर में रखिए॰ तीसरे भाव में पहुंचाने के लिए संबंधित वस्‍तु को हाथ में धारण करें॰ चौथे भाव में पहुंचाने के लिए पानी में बहाएं॰ पांचवे भाव के लिए स्‍कूल में पहुंचाएं,॰ छठे भाव में पहुंचाने के लिए कुएं में डालें॰ सातवें भाव के लिए धरती में दबाएं॰ आठवें भाव के लिए श्‍मशान में दबाएं॰ नौंवे भाव के लिए मंदिर में दें॰ दसवें भाव के लिए पिता या सरकारी भवन को दें॰ ग्‍यारहवें भाव का उपाय नहींऔर बारहवें भाव के लिए ग्रह से संबंधित चीजें छत पर रखें।

Sunday, 8 February 2015

दाम्पत्य जीवन के क्लेश को दूर करने के उपाय

तो दाम्पत्य जीवन में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन कारणों से गृह कलेश होता है. यही कारण इतने बढ़ जाते है कि जिनसे परिवार का हर सदस्य प्रभावित होने लगता है और घर में अशांति का वास हो जाता है. तो घर को क्लेश मुक्त करने के लिए आप कुछ उपाय अपना सकते हो जो निम्नलिखित है –

-    आप हर पूर्णिमा के दिन सुबह सुबह नहा कर घर के मुख्य दरवाजे पर आम के ताज़े पत्तो से एक बेल बना कर टांग ले. इससे आपके घर में गृह क्लेश कभी भी प्रवेश नही कर सकता.

-    अगर आपके दाम्पत्य जीवन में कलेश है तो आप उसके निवारण के लिए एक स्फटिक का शिवलिंग अपने घर के मंदिर में रख ले और रोज़ सुबह उस पर दूध चढ़ाये. साथ ही आप रोज ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करे.

-    आप अपने घर के हर कमरे में शंख की ध्वनी को पूजा के बाद बजाये इससे घर में सुख, शांति, बढती है और घर रोगमुक्त होता है. साथ ही घर में देवी महालक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है.

-    अगर आपके घर में काफी समय से कुछ ऐसा सामान पड़ा है जिसका आप उपयोग नही करते, जैसेकि रद्दी कागज, पुराने कपडे, टूटी फूटी मशीन, टुटा हुआ आइना, टुटा हुआ फोटो फ्रेम, इत्यादि तो आप इन सबको अपने घर से निकल दे क्योकि ऐसी चीज़े घर में नकारात्मक उर्जा प्रवाहित करती है. जिससे घर में अशांति और कलह का माहौल बन जाता है. अगर आपके घर में कुछ पौराणिक या धार्मिक किताबे भी है जिन्हें आप नही पढ़ते तो आप उनको किसी नदी में प्रवाहित कर सकते हो या फिर आप उन्हें किसी मंदिर में दान कर सकते हो.

-    आप हर पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान करे. उसके बाद आप थोड़ी हल्दी ले और उसमे थोडा पानी मिला कर एक पेस्ट जैसा बना ले. फिर आप उससे अपने घर के मुख्य दरवाजे पर ॐ बनाये. ऐसा करने से आपके जीवन में कभी ग्रह क्लेश प्रवेश नही करता.

-    इसके अलावा एक ऐसा उपाय है जो आप बड़ी ही आसानी से रोज़ इस्तेमाल कर सकते है. इस उपाय को अपनाने के लिए आप फर्श पर पोंछा लगाने से पहले बाल्टी के पानी में थोडा नमक डाल ले. उसके बाद पोंछा लगाये. इसके बाद आप अपने घर के हर कमरे में अगरबती लगा दे. इसे घर का वातावरण शुद्ध होता है और घर में पवित्रता का वास होता है.

-    साथ ही आप रोज पूजा से पहले एक बड़ा दक्षिणावर्ती शंख लेकर उसमे जल भर कर रख दे. फिर आप उस पानी को पूजा से पहले पूजा के स्थान और पूजा में सम्मिलित सभी लोगो पर छिड़क दे. इस शंख के जल से न सिर्फ आपके पापो का नाश होता है बल्कि ये घर के वातावरण में मधुरता लाता है जिसे घर में कलह की सम्भावना भी खत्म हो जाती है.

-    आपको रोज सुबह 11 बार गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए, इससे आपके मन मस्तिष्क को शांति मिलती है. और आप खूद ही घर में क्लेश करने से बचते हो.

-    आप सुबह पूजा के दौरान कपूर का इस्तेमाल करे इससे आपके घर से नकारात्मक उर्जा दूर होती है.

-    अगर आपके घर के इशान कोण में कूड़ा कचरा, धुल, गन्दगी हो तो आप उसे साफ कर दे क्योंकि ये दिशा भगवान शिव की होती है. इसीलिए आपके घर के हर कमरे का इशान कोण बहुत अहम होता है.

-    आप अपने घर में लाफिंग बुद्धा को भी रखे लेकिन याद रखे कि वो किसी के द्वारा गिफ्ट किया हुआ न हो और घर में उसका मुख हमेशा मुख्य द्वार की तरफ होना चाहिए.

-    कहा जाता है कि घर की रसोई घर की आत्मा होती है. तो आप अपने घर की रसोई का विशेष ध्यान रखे. अगर आपकी रसोई आग्नेय कोण में है तो आप वहां रोज लाल रंग का बल्ब या फिर सरसों के तेल का दीपक जलाये. इस उपाय को आप कम से कम 40 दिन तक करे.

-    अगर आपका आग्नेय अशुभ है तो आप मंगल देवता व शुक्र देव के निमित दान, जाप और मंगल यन्त्र, शुक्र यंत्र की आराधना करे, इससे आपको लाभ मिलेगा और आपके घर में सुख शांति का वास होगा.

-    इसके अलावा आप हर शुक्रवार को ब्राहमण को दही, चीनी, चावल व श्वेत वस्त्र का दान भी अवश्य करे.

-    इसके अलावा आप गाय की रोटी पर देशी घी को लगाकर उसे गुड के साथ लगाकर गाय को  अवश्य दे. इससे भी आपके घर में सुख समृधि बढ़ेगी और आपके जीवन से गृह क्लेश ख़त्म होगा.

-    जब किसी वर वधु का विवाह हो रहा हो, तो वर वधु के बीच प्रेम संबंध को गहरा करने के लिए आप साबुत उड़द में मेहँदी मिलकर जिस दिशा में वर वधु का घर हो उस तरफ फेंके, इससे उनके बीच प्रेम तो बढ़ेगा ही साथ ही उनके बीच कभी क्लेश की स्थिति भी पैदा नही होगी. इस उपाय को आप विवाह स्थल पर ही करे.

-    आप जामुन के पत्तो को शनिवार को लाकर अपने शयन कक्ष में रख दे, इससे पति पत्नी के बीच का कलह दूर होता है और उनके जीवन में मधुरता आएगी.

Sunday, 1 February 2015

बीज मन्त्रों का प्रयोग

24 बीज मंत्रो का अपना अपना एक स्थान है लेकिन कुछ ऐसे है जिनका उपयोग अनेक स्थानों पर होता है, उन्ही के बारे में हम आपको बता रहे है –

· ॐ – सभी बीज मंत्रो में सबसे ज्यादा जाना जाने वाला बीज मंत्र है. इसको प्रणव और अभिनन्दन मानता के रूप में भी जाना जाता है. साथ ही इसको काम का रूप भी बताया जाता है, जिसे महाकाल ने बनाया था. इसी मंत्र को निर्माण, बनाये रखने और संहार के लिए भी जाना जाता है.

· श्रीम् – इस बीज मंत्र को विष्णुप्रिय भी कहा जाता है क्योकि माना जाता है कि ये मंत्र भगवान विष्णु को बहुत प्रिय होता है, कई जगह इस मंत्र को भगवन विष्णु जी की पत्नी देवी लक्ष्मी का भी रूप कहा जाता है.

· ह्रीं – ह्रीं बीज मंत्र को माया बीज भी कहा जाता है. साथ ही इसे रौद्री के रूप में भी जाना जाता है.

· क्लीम् – इस बीज मंत्र को पित्रीभूवासिनी के नाम से जाना जाता है. पित्रीभूवासिनी एक देवी है जो हमारे पूर्वजो और पितृ की रक्षा करती है. इसको डरावना और क्लेदाना बीज भी कहा जाता है.

· हुम् – इस बीज को कूर्चा बीज भी कहा जाता है और इसे सभी मंत्रो की माता माना जाता है. इस मंत्रो का प्रयोग वीरो की माता करती है.

· क्रोम् – क्रोम् बीज को क्रोधिषा बीज कहा जाता है इसको अग्नि को चढ़ाव देते समय इस्तेमाल किया जाता है.

· क्लीम् – इस बीज से मनुष्य में वासना का भाव उत्पन्न होता है. इसको तीन संसारो का बीज मंत्र भी माना जाता है और इसका दूसरा नाम काम है.

· फट – इन चौबीस बीजो के अलावा एक बीज फट भी है, इस बीज को अग्नि बीज के रूप में भी जाना जाता है. इसका उपयोग पूजा में अंतिम समय में किया जाता है.