Monday, 26 January 2015

मंगल ग्रह पीड़ा को कैसे शांत करें

मंगल  :  और जिन व्यक्तियों के जन्म का नक्षत्र मंगल है और उनके नक्षत्र का स्वामी मंगल है, उन्हें ये उपाय अपनाने चाहिए.

1. इस नक्षत्र के व्यक्तियों को अपने संकतो से मुक्ति पाने के लिए मंगलवार के दिन और अपने नक्षत्र वाले दिन ताम्बे के लोटे में जल डालकर पीपल के वृक्ष को अर्पण करना चाहिए.

2. साथ ही मंगल नक्षत्र के व्यक्तियों को हर मंगलवार के दिन प्रातकाल पीपल के पेड़ को लाल पुष्प अर्पित करने चाहिए.

3. इसके अलावा इन्हें अपने नक्षत्र वाले दिन और साथ ही मंगलवार के दिन भी पीपल की वृक्ष की 8 परिकर्मा अवश्य करनी चाहिए, ऐसा करने से इनके जीवन से सभी दुखो का नाश होगा.

4. मंगल नक्षत्र के लोगो को अपने नक्षत्र वाले दिन पीपल के वृक्ष के लाल पत्तो को कुछ समय के लिए अपने नहाने के जल में मिला लेना चाहिए और उसके बाद स्नान करना चाहिए.

5.  इन व्यक्तियों को अधिक लाभ पाने के लिए अपने नक्षत्र वाले दिन किसी मार्ग के किनारे पर 1 या 8 पीपल के वृक्षों को लगाना चाहिए.

6.  साथ ही ये लोग हर मंगलवार के दिन सुबह पीपल के पेड़ के नीचे कुछ शक्कर जरुर डाले, आपको लाभ जरुर प्राप्त होगा.

Friday, 23 January 2015

पीपल का पेड़ करेगा आपके दुःख दूर

गीता के अनुसार भगवान श्री कृष्णा ने कहा है कि “ मै ( श्री कृष्ण ) वृक्षों में पीपल हूँ और जो भी पुरे श्रद्धा के साथ इस वृक्ष की सेवा करता है उसे लाभ की अनुभूति अवश्य होगी ”. इसिलिया ग्रंथो में वृक्षों में पीपल के पेड़ को देवो का देव भी कहा गया है. पीपल की सेवा के लिए आप प्रत्येक शनिवार को पीपल के वृक्ष पर दूध, जल, शक्कर, शहद, काले तिल, गंगा जल और गुड को जल में मिला का चढ़ाये, इसके साथ आप एक आटे के दीपक में सरसों का तेल डाल कर उसे जलाये, दीपक में आप एक लोहे की कील व 11 साबुत उड़द की दाल के दाने भी डाल दे और धुप जला कर दिये के साथ पीपल के पेड़ को अर्पित करे. इसके बाद आप पीपल के वृक्ष की 11 बार परिकर्मा करते हुए, अपने बाये हाथ से पीपल के वृक्ष की जड़ो को स्पर्श करे और अपने माथे पर लगाये. इन उपायों को करने से भगवान शनि देव की कृपा आप पर बनी रहेगी और आप दुखो से दूर रह पाओगे.

ये उपाय आपको निमंलिखित समस्याओ से दूर रखेंगे.

· शत्रुओ से परेशानी : अगर आपकी किसी के साथ शत्रुता है और आपका शत्रु आपको परेशान कर रहा है तो आप ऊपर दिए हुए उपायों को करे और साथ ही आप पीपल के वृक्ष के नीचे बैठ कर हनुमान चालीसा का भी पाठ जरुर करे. इस तरह से आपको आपके शत्रुओ से जुडी सभी परेशानियों से मुक्ति मिलेगी साथ ही आपके शत्रुओ का नाश होगा.

· कन्या का दुःख में होना : अगर किसी कन्या की जन्म पत्रिका में प्रबल वैधव्य योग है जिसकी वजह से उसको अपने जीवन में दुखो का सामना करना पड़ रहा है तो उस कन्या को ऊपर दिए गये उपायों को पुरे मन से कम से कम 1 साल तक के लिए जरुर करना चाहिए, तभी उसके दुखो का निवारण होगा और उसके जीवन में भी सुख होंगे.

· ब्रहस्पति देव का अशुभ स्थिति में होना : अगर आपकी राशी में ब्रहस्पति देव जी मजबूत स्थिति में नही है तो आप ब्रहस्पति देव की अशुभता को दूर करने के लिए केले के और पीपल के वृक्षों की नियमित रूप से सेवा करे. ऐसा करने से ब्रहस्पति देव की स्थिति मजबूत होगी और आपको भी अपने जीवन में इसका लाभ मिलेगा.

· विशेष कार्य को सिद्ध करने के लिए : अगर आपका कोई विशेष कार्य संपन्न नही हो पा रहा है तो आप उसे पूरा करने के लिए शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष के पास जाये और पीपल के वृक्ष से अपने कार्य को पूरा करने के लिए निवदेन करे, उसके बाद आप ऊपर दिए गये उपाय को करे, साथ ही आप पीपल के पेड़ के सामने एक बड़ी सी लोहे की कील को गाड दे, आपका कार्य जरुर पूरा होगा और जब आपका कार्य पूरा हो जाये तो आप उस कील को वापस निकल दे.

· शरीर के दर्द को दूर करने के लिए : अगर आप अपने हाथो – पैरो के दर्द और कमर के दर्द से परेशान है साथ ही आपके शरीर में भी दर्द होता है और आप थकान महसूस करते है तो आप एक काले कपडे में पीपल के वृक्ष की जड़ या फिर उसकी लकड़ी को बंध ले और उसे आप अपने बिस्तर के सिरहाने रख ले. लेकिन इसके साथ साथ आप ऊपर दिए के उपायों के अनुसार पीपल की सेवा करना न भूले. कुछ समय के पश्चात आपको महसूस होगा कि आपके शरीर का दर्द खत्म हो रहा है और आप दर्द मुख हो रहे है.

· लगातार हो रहे नुकसान को रोकने के लिए : यदि आपको आपके हर काम में नुकसान का सामना करना पड़ रहा है और आपका धन भी धीरे धीरे कम होता जा रहा है तो आप निराश न हो बल्कि आप पीपल के वृक्ष का एक पत्ता ले और उस पर ॐ लिख कर अपनी तिजोरी या उस स्थान पर रख ले जहाँ आप अपना धन रखते है. ऐसा आप कम से कम 8 शनिवार जरुर करे, कुछ समय बात आपको आभास होगा कि आपका नुकसान होना बंद हो गया है और आपका धन भी बढ़ने लगा है.

· जीवन की समस्याओ को दूर करने के लिए : यदि आपके सभी कार्यो में बाधाये उत्तपन होती है जिसकी वजह से आपका कोई भी कार्य सफल नही हो रहा है और आपको हर जगह असफलता ही हाथ लग रही है तो आप शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के पास जाये और पीपल के वृक्ष के 8 पत्तो को एक साथ एक काले धागे से, एक गाँठ में बाँध ले. फिर जब आप अगले शनिवार को वृक्ष के पास जाये तो आप एक गांठ और लगा दे पर आप पहली वाली गांठ को उतार कर बहते हुए पानी में डाल दे, ऐसा करने से आपके जीवन की सारी समस्याए भी एक एक करके बहते पानी में गांठो की तरह ही बह जाएगी.

· शिवलिंग की पूजा : शिवलिंग शिव जी की प्रतिमा मानी जाती है तो उनकी पूजा के लिए हर सोमवार के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे शिवलिंग को रख दे. उसके बाद आप ॐ नमः शिवाय का नियमित रूप से जाप करे और शिवलिंग का जलाभिषेक करे. ऐसा करने से आपके और आपके परिवार के जीवन से सभी दुखो का नाश होगा और आपके परिवार में सुख समृद्धि का भी वास होगा.

Monday, 5 January 2015

बुरे योग जिनका निवारण जरुरी है

 कुंडली में हम सामान्यतः राज योगों  की ही खोज करते हैं, किन्तु कई बार स्वयं ज्योतिषी व कई बार जातक  इन दुर्योगों को नजरअंदाज कर जाता है,जिस कारण बार बार संशय होता है की क्यों ये राजयोग फलित नहीं हो रहे.आज ऐसे ही कुछ दुर्योगों के बारे में बताने का प्रयास कर रहा हूँ,जिनके प्रभाव से जातक कई योगों से लाभान्वित होने से चूक जाते हैं.सामान्यतः पाए जाने वाले इन दोषों में से कुछ इस प्रकार हैं..                                                                                        

१. ग्रहण योग: कुंडली में कहीं भी सूर्य अथवा चन्द्र की युति राहू या केतु से हो जाती है तो इस दोष का निर्माण होता है.चन्द्र ग्रहण योग की अवस्था में जातक डर व घबराहट महसूस करता है.चिडचिडापन उसके स्वभाव का हिस्सा बन जाता है.माँ के सुख में कमी आती है.किसी भी कार्य को शुरू करने के बाद उसे सदा अधूरा छोड़ देना व नए काम के बारे में सोचना इस योग के लक्षण हैं.अमूमन किसी भी प्रकार के फोबिया अथवा किसी भी मानसिक बीमारी जैसे डिप्रेसन ,सिज्रेफेनिया,आदि इसी योग के कारण माने गए हैं.यदि यहाँ चंद्रमा अधिक दूषित हो जाता है या कहें अन्य पाप प्रभाव में भी होता है,तो मिर्गी ,चक्कर व मानसिक संतुलन खोने का डर भी होता है.    सूर्य द्वारा बनने वाला ग्रहण योग पिता सुख में कमी करता है.जातक का शारीरिक ढांचा कमजोर रह जाता है.आँखों व ह्रदय सम्बन्धी रोगों का कारक बनता है.सरकारी नौकरी या तो मिलती नहीं या उस में निबाह मुस्किल होता है.डिपार्टमेंटल इन्क्वाइरी ,सजा ,जेल,परमोशन में रुकावट सब इसी योग का परिणाम है.

२. चंडाल योग: गुरु की किसी भी भाव में राहू से युति चंडाल योग बनती है.शरीर पर घाव का एक आध चिन्ह लिए ऐसा जातक भाग्यहीन होता है.आजीविका से जातक कभी संतुष्ट नहीं होता,बोलने में अपनी शक्ति व्यर्थ करता है व अपने सामने औरों को ज्ञान में कम आंकता है जिस कारण स्वयं धोखे में रहकर पिछड़ जाता है.ये योग जिस भी भाव में बनता है उस भाव को साधारण कोटि का बना देता है.मतान्तर से कुछ विद्वान् राहू की दृष्टी गुरु पर या गुरु की  केतु से युति को भी इस योग का लक्षण मानते हैं.

३.दरिद्र योग: लग्न या चंद्रमा से चारों केंद्र स्थान खाली हों या चारों केन्द्रों में पाप ग्रह हों तो दरिद्र योग होता है.ऐसा जातक अरबपति के घर में भी जनम ले ले तो भी उसे आजीविका के लिए भटकना पड़ता है,व दरिद्र जीवन बिताने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

४. शकट योग: चंद्रमा से छटे या आठवें भाव में गुरु हो व ऐसा गुरु लग्न से केंद्र में न बैठा हो तो शकट योग का होना माना गया है.  ऐसा जातक जीवन भर किसी न किसी कर्ज से दबा रहता है,व सगे सम्बन्धी उससे घृणा करते हैं.वह अपने जीवन में अनगिनत उतार चढ़ाव देखता है.ऐसा जातक गाड़ी चलाने वाला भी हो सकता है.

५.उन्माद योग: (a) यदि लग्न में सूर्य हो व सप्तम में मंगल हो, (b) यदि लग्न में शनि और सातवें ,पांचवें या नवें भाव में मंगल हो (c) यदि धनु लग्न हो व लग्न- त्रिकोण में सूर्य-चन्द्र  युति हों साथ ही गुरु तृतीय भाव या किसी भी केंद्र में हो तो गुरुजनों द्वारा उन्माद योग की पुष्टि की गयी है.जातक जोर जोर से बोलने वाला ,व गप्पी होता है.ऐसे में यदि ग्रह बलिष्ट हों तो जातक पागल हो जाता है.

६. कलह योग: यदि चंद्रमा  पाप ग्रह के साथ राहू से युक्त हो १२ वें ५ वें या ८ वें भाव में हो तो कलह योग माना गया है.जातक के सारे जीवन भर किसी न किसी बात कलह होती रहती है व अंत में इसी कलह के कारण तनाव में ही उसकी मृत्यु हो जाती है.

नोट: लग्न से घड़ी के विपरीत गिनने पर चौथा-सातवां -दसवां भाव केंद्र स्थान होता है.पंचम व नवं भाव त्रिकोण कहलाते हैं. साथ ही लग्न की गिनती केंद्र व त्रिकोण दोनों में होती है.

ऐसे ही कई प्रकार के योग और भी हैं जिनकी चर्चा फिर कभी करेंगे.फिलहाल यदि इन योगों में से कोई योग आपको अपनी कुंडली में दिखाई पड़ता है तो किसी योग्य ब्रह्मण द्वारा इसका उचित निवारण कराएँ.लेख आपको कैसा लगा ये जरूर बताएं ,चर्चाओं का दौर जारी रहा तो इन योगों का निवारण भी इसी ब्लॉग के द्वारा बताऊंगा.    
( आपसे प्रार्थना है कि  कृपया लेख में दिखने वाले विज्ञापन पर अवश्य क्लिक करें ,इससे प्राप्त आय मेरे द्वारा धर्मार्थ कार्यों पर ही खर्च होती है। अतः आप भी पुण्य के भागीदार बने   )