Monday, 10 August 2015

केतु के उपाय

दान
किसी युवा व्यक्ति को केतु कपिला गाय, दुरंगा, कंबल, लहसुनिया, लोहा, तिल, तेल, सप्तधान्य शस्त्र, बकरा, नारियल, उड़द आदि का दान करने से केतु ग्रह की शांति होती है। ज्योतिषशास्त्र इसे अशुभ ग्रह मानता है अत: जिनकी कुण्डली में केतु की दशा चलती है उसे अशुभ परिणाम प्राप्त होते हैं. इसकी दशा होने पर शांति हेतु जो उपाय आप कर सकते हैं उनमें दान का स्थान प्रथम है. ज्योतिषशास्त्र कहता है 

1. केतु से पीड़ित व्यक्ति को बकरे का दान करना चाहिए. कम्बल, लोहे के बने हथियार, तिल, भूरे रंग की वस्तु केतु की दशा में दान करने से केतु का दुष्प्रभाव कम होता है. 
2. गाय की बछिया, केतु से सम्बन्धित रत्न का दान भी उत्तम होता है. 
3. अगर केतु की दशा का फल संतान को भुगतना पड़ रहा है तो मंदिर में कम्बल का दान करना चाहिए. 
4. केतु की दशा को शांत करने के लिए व्रत भी काफी लाभप्रद होता है. 
5. शनिवार एवं मंगलवार के दिन व्रत रखने से केतु की दशा शांत होती है. 
6. कुत्ते को आहार दें एवं ब्राह्मणों को भात खिलायें इससे भी केतु की दशा शांत होगी. 
7. किसी को अपने मन की बात नहीं बताएं एवं बुजुर्गों एवं संतों की सेवा करें यह केतु की दशा में राहत प्रदान करता है।

मन्त्र : ऊं स्‍त्रां स्‍त्रीं स्‍त्रौं स: केतवे नम:
(Om Stram Strim Strom Sah Ketve Namah)
दिशा : दक्षिण 
आसन : काला
कुल जाप : 17000 या  158 माला
समय : रात्रि
माला : रुद्राक्ष या लहसुनिया की

बृहस्पति के उपाय

दान
बृहस्पति के उपाय हेतु जिन वस्तुओं का दान करना चाहिए उनमें चीनी, केला, पीला वस्त्र, केशर, नमक, मिठाईयां, हल्दी, पीला फूल और भोजन उत्तम कहा गया है. इस ग्रह की शांति के लए बृहस्पति से सम्बन्धित रत्न का दान करना भी श्रेष्ठ होता है. दान करते समय आपको ध्यान रखना चाहिए कि दिन बृहस्पतिवार हो और सुबह का समय हो. दान किसी ब्राह्मण, गुरू अथवा पुरोहित को देना विशेष फलदायक होता है.बृहस्पतिवार के दिन व्रत रखना चाहिए. कमज़ोर बृहस्पति वाले व्यक्तियों को केला और पीले रंग की मिठाईयां गरीबों, पंक्षियों विशेषकर कौओं को देना चाहिए. ब्राह्मणों एवं गरीबों को दही चावल खिलाना चाहिए. रविवार और बृहस्पतिवार को छोड़कर अन्य सभी दिन पीपल के जड़ को जल से सिंचना चाहिए. गुरू, पुरोहित और शिक्षकों में बृहस्पति का निवास होता है अत: इनकी सेवा से भी बृहस्पति के दुष्प्रभाव में कमी आती है. केला का सेवन और सोने वाले कमड़े में केला रखने से बृहस्पति से पीड़ित व्यक्तियों की कठिनाई बढ़ जाती है अत: इनसे बचना चाहिए।

1. ऐसे व्यक्ति को अपने माता-पिता, गुरुजन एवं अन्य पूजनीय व्यक्तियों के प्रति आदर भाव रखना चाहिए तथा महत्त्वपूर्ण समयों पर इनका चरण स्पर्श कर आशिर्वाद लेना चाहिए।
2. सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए।
3. ऐसे व्यक्ति को मन्दिर में या किसी धर्म स्थल पर निःशुल्क सेवा करनी चाहिए।
4. किसी भी मन्दिर या इबादत घर के सम्मुख से निकलने पर अपना सिर श्रद्धा से झुकाना चाहिए।
5. ऐसे व्यक्ति को परस्त्री / परपुरुष से संबंध नहीं रखने चाहिए।
6. गुरुवार के दिन मन्दिर में केले के पेड़ के सम्मुख गौघृत का दीपक जलाना चाहिए।
7. गुरुवार के दिन आटे के लोयी में चने की दाल, गुड़ एवं पीसी हल्दी डालकर गाय को खिलानी चाहिए।
8. गुरु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपाय हेतु गुरुवार का दिन, गुरु के नक्षत्र (पुनर्वसु, विशाखा, पूर्व-भाद्रपद) तथा गुरु की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

मन्त्र : ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:
(Om Gram Grim Grom Sah Gurave Namah)
दिशा : पूर्व 
आसन : पीला
कुल जाप : 19000 या  176 माला
समय : सुबह
माला : रुद्राक्ष या पुखराज की

Monday, 3 August 2015

राहु के उपाय

दान
अपनी शक्ति के अनुसार संध्या को काले-नीले फूल, गोमेद, नारियल, मूली, सरसों, नीलम, कोयले, खोटे सिक्के, नीला वस्त्र किसी कोढ़ी को दान में देना चाहिए। राहु की शांति के लिए लोहे के हथियार, नीला वस्त्र, कम्बल, लोहे की चादर, तिल, सरसों तेल, विद्युत उपकरण, नारियल एवं मूली दान करना चाहिए. सफाई कर्मियों को लाल अनाज देने से भी राहु की शांति होती है. राहु से पीड़ित व्यक्ति को इस ग्रह से सम्बन्धित रत्न का दान करना चाहिए. राहु से पीड़ित व्यक्ति को शनिवार का व्रत करना चाहिए इससे राहु ग्रह का दुष्प्रभाव कम होता है. मीठी रोटी कौए को दें और ब्राह्मणों अथवा गरीबों को चावल और मांसहार करायें. राहु की दशा होने पर कुष्ट से पीड़ित व्यक्ति की सहायता करनी चाहिए. गरीब व्यक्ति की कन्या की शादी करनी चाहिए. राहु की दशा से आप पीड़ित हैं तो अपने सिरहाने जौ रखकर सोयें और सुबह उनका दान कर दें इससे राहु की दशा शांत होगी.

1. ऐसे व्यक्ति को अष्टधातु का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करना चाहिए।
2. हाथी दाँत का लाकेट गले में धारण करना चाहिए।
3. अपने पास सफेद चन्दन अवश्य रखना चाहिए। सफेद चन्दन की माला भी धारण की जा सकती है।
4. जमादार को तम्बाकू का दान करना चाहिए।
5. दिन के संधिकाल में अर्थात् सूर्योदय या सूर्यास्त के समय कोई महत्त्वपूर्ण कार्य नही करना चाहिए।
6. यदि किसी अन्य व्यक्ति के पास रुपया अटक गया हो, तो प्रातःकाल पक्षियों को दाना चुगाना चाहिए।
7. झुठी कसम नही खानी चाहिए।
8. राहु के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपाय हेतु शनिवार का दिन, राहु के नक्षत्र (आर्द्रा, स्वाती, शतभिषा) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

मन्त्र : ऊं भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:
(Om Bhram Bhrim Bhrom Sah Rahve Namah)
दिशा : दक्षिण 
आसन : काला
कुल जाप : 18000 या  108 माला
समय : रात्रि
माला : रुद्राक्ष या हकीक की

क्या न करें
मदिरा और तम्बाकू के सेवन से राहु की दशा में विपरीत परिणाम मिलता है अत: इनसे दूरी बनाये रखना चाहिए. आप राहु की दशा से परेशान हैं तो संयुक्त परिवार से अलग होकर अपना जीवन यापन करें.

मंगल के उपाय

दान
पीड़ित व्यक्ति को लाल रंग का बैल दान करना चाहिए. लाल रंग का वस्त्र, सोना, तांबा, मसूर दाल, बताशा, मीठी रोटी का दान देना चाहिए. मंगल से सम्बन्धित रत्न दान देने से भी पीड़ित मंगल के दुष्प्रभाव में कमी आती है. मंगल ग्रह की दशा में सुधार हेतु दान देने के लिए मंगलवार का दिन और दोपहर का समय सबसे उपयुक्त होता है. जिनका मंगल पीड़ित है उन्हें मंगलवार के दिन व्रत करना चाहिए और ब्राह्मण अथवा किसी गरीब व्यक्ति को भर पेट भोजन कराना चाहिए. मंगल पीड़ित व्यक्ति के लिए प्रतिदिन 10 से 15 मिनट ध्यान करना उत्तम रहता है. मंगल पीड़ित व्यक्ति में धैर्य की कमी होती है अत: धैर्य बनाये रखने का अभ्यास करना चाहिए एवं छोटे भाई बहनों का ख्याल रखना चाहिए.

1. लाल कपड़े में सौंफ बाँधकर अपने शयनकक्ष में रखनी चाहिए।
2. ऐसा व्यक्ति जब भी अपना घर बनवाये तो उसे घर में लाल पत्थर अवश्य लगवाना चाहिए।
3. बन्धुजनों को मिष्ठान्न का सेवन कराने से भी मंगल शुभ बनता है।
4. लाल वस्त्र ले कर उसमें दो मुठ्ठी मसूर की दाल बाँधकर मंगलवार के दिन किसी भिखारी को दान करनी चाहिए।
5. मंगलवार के दिन हनुमानजी के चरण से सिन्दूर ले कर उसका टीका माथे पर लगाना चाहिए।
6. बंदरों को गुड़ और चने खिलाने चाहिए।
7. अपने घर में लाल पुष्प वाले पौधे या वृक्ष लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।
8. मंगल के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपाय हेतु मंगलवार का दिन, मंगल के नक्षत्र (मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा) तथा मंगल की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

मन्त्र : ऊं क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:
(Om Kram Krim Krom sah Bhomay Namah)
दिशा : पूर्व 
आसन : लाल
कुल जाप : 10000 या 93 माला
समय : सुबह
माला : रुद्राक्ष या मूँगे की

क्या न करें
आपका मंगल अगर पीड़ित है तो आपको अपने क्रोध नहीं करना चाहिए. अपने आप पर नियंत्रण नहीं खोना चाहिए. किसी भी चीज़ में जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए और भौतिकता में लिप्त नहीं होना चाहिए

Wednesday, 29 July 2015

शुक्र के उपाय

दान
शुक्र ग्रहों में सबसे चमकीला है और प्रेम का प्रतीक है. इस ग्रह के पीड़ित होने पर आपको ग्रह शांति हेतु सफेद रंग का घोड़ा दान देना चाहिए. रंगीन वस्त्र, रेशमी कपड़े, घी, सुगंध, चीनी, खाद्य तेल, चंदन, कपूर का दान शुक्र ग्रह की विपरीत दशा में सुधार लाता है. शुक्र से सम्बन्धित रत्न का दान भी लाभप्रद होता है. इन वस्तुओं का दान शुक्रवार के दिन संध्या काल में किसी युवती को देना उत्तम रहता है.शुक्र ग्रह से सम्बन्धित क्षेत्र में आपको परेशानी आ रही है तो इसके लिए आप शुक्रवार के दिन व्रत रखें. मिठाईयां एवं खीर कौओं और गरीबों को दें. ब्राह्मणों एवं गरीबों को घी भात खिलाएं. अपने भोजन में से एक हिस्सा निकालकर गाय को खिलाएं. शुक्र से सम्बन्धित वस्तुओं जैसे सुगंध, घी और सुगंधित तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए. वस्त्रों के चुनाव में अधिक विचार नहीं करें.

1. काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए।
2. शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।
3. किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।
4. किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय १० वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए।
5. अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।
6. किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।
7. शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध से स्नान करना चाहिए।
8. शुक्र के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपाय हेतु शुक्रवार का दिन, शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी, पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

मन्त्र उपाय
मन्त्र : ऊं द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:
(Om Dram Drim Drom Sah Shukray Namah)
दिशा : पासचिं (West)
आसन : सफेद
कुल जाप : 16000 या 150 माला
समय : सुबह
माला : रुद्राक्ष या हीरे की

Tuesday, 28 July 2015

शनि के उपाय

दान
जिनकी कुण्डली में शनि कमज़ोर हैं या शनि पीड़ित है उन्हें काली गाय का दान करना चाहिए. काला वस्त्र, उड़द दाल, काला तिल, चमड़े का जूता, नमक, सरसों तेल, लोहा, खेती योग्य भूमि, बर्तन व अनाज का दान करना चाहिए. शनि से सम्बन्धित रत्न का दान भी उत्तम होता है. शनि ग्रह की शांति के लिए दान देते समय ध्यान रखें कि संध्या काल हो और शनिवार का दिन हो तथा दान प्राप्त करने वाला व्यक्ति ग़रीब और वृद्ध हो.शनि के कोप से बचने हेतु व्यक्ति को शनिवार के दिन एवं शुक्रवार के दिन व्रत रखना चाहिए. लोहे के बर्तन में दही चावल और नमक मिलाकर भिखारियों और कौओं को देना चाहिए. रोटी पर नमक और सरसों तेल लगाकर कौआ को देना चाहिए. तिल और चावल पकाकर ब्राह्मण को खिलाना चाहिए. अपने भोजन में से कौए के लिए एक हिस्सा निकालकर उसे दें. शनि ग्रह से पीड़ित व्यक्ति के लिए हनुमान चालीसा का पाठ, महामृत्युंजय मंत्र का जाप एवं शनिस्तोत्रम का पाठ भी बहुत लाभदायक होता है. शनि ग्रह के दुष्प्रभाव से बचाव हेतु गरीब, वृद्ध एवं कर्मचारियो के प्रति अच्छा व्यवहार रखें. मोर पंख धारण करने से भी शनि के दुष्प्रभाव में कमी आती है.

1. शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाएँ।
2. शनिवार के दिन लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।
3. शनिवार के दिन बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए।
4. भड्डरी को कड़वे तेल का दान करना चाहिए।
5. भिखारी को उड़द की दाल की कचोरी खिलानी चाहिए।
6. किसी दुःखी व्यक्ति के आँसू अपने हाथों से पोंछने चाहिए।
7. घर में काला पत्थर लगवाना चाहिए।
8. शनि के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपाय हेतु शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ फल देता है।

मन्त्र : ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:
(Om Pram Prim Prom Sah Shanaye Namah)
दिशा : दक्षिण
आसन : नीला
कुल जाप : 23000 या  213 माला
समय : शाम
माला : रुद्राक्ष या नीलम की

क्या न करें
जो व्यक्ति शनि ग्रह से पीड़ित हैं उन्हें गरीबों, वृद्धों एवं नौकरों के प्रति अपमान जनक व्यवहार नहीं करना चाहिए. नमक और नमकीन पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए, सरसों तेल से बनें पदार्थ, तिल और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. शनिवार के दिन सेविंग नहीं करना चाहिए और जमीन पर नहीं सोना चाहिए.शनि से पीड़ित व्यक्ति के लिए काले घोड़े की नाल और नाव की कांटी से बनी अंगूठी भी काफी लाभप्रद होती है परंतु इसे किसी अच्छे पंडित से सलाह और पूजा के पश्चात ही धारण करना चाहिए. साढ़े साती से पीड़ित व्यक्तियों के लिए भी शनि का यह उपाय लाभप्रद है. शनि का यह उपाय शनि की सभी दशा में कारगर और लाभप्रद है.

Tuesday, 14 July 2015

बुध के उपाय

दान
बुध की शांति के लिए स्वर्ण का दान करना चाहिए. हरा वस्त्र, हरी सब्जी, मूंग का दाल एवं हरे रंग के वस्तुओं का दान उत्तम कहा जाता है. हरे रंग की चूड़ी और वस्त्र का दान किन्नरो को देना भी इस ग्रह दशा में श्रेष्ठ होता है. बुध ग्रह से सम्बन्धित वस्तुओं का दान भी ग्रह की पीड़ा में कमी ला सकती है. इन वस्तुओं के दान के लिए ज्योतिषशास्त्र में बुधवार के दिन दोपहर का समय उपयुक्त माना गया है.बुध की दशा में सुधार हेतु बुधवार के दिन व्रत रखना चाहिए. गाय को हरी घास और हरी पत्तियां खिलानी चाहिए. ब्राह्मणों को दूध में पकाकर खीर भोजन करना चाहिए. बुध की दशा में सुधार के लिए विष्णु सहस्रनाम का जाप भी कल्याणकारी कहा गया है. रविवार को छोड़कर अन्य दिन नियमित तुलसी में जल देने से बुध की दशा में सुधार होता है. अनाथों एवं गरीब छात्रों की सहायता करने से बुध ग्रह से पीड़ित व्यक्तियों को लाभ मिलता है. मौसी, बहन, चाची बेटी के प्रति अच्छा व्यवहार बुध ग्रह की दशा से पीड़ित व्यक्ति के लिए कल्याणकारी होता है.

1. अपने घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाना चाहिए तथा निरन्तर उसकी देखभाल करनी चाहिए। बुधवार के दिन तुलसी पत्र का सेवन करना चाहिए।
2. बुधवार के दिन हरे रंग की चूड़ियाँ हिजड़े को दान करनी चाहिए।
3. हरी सब्जियाँ एवं हरा चारा गाय को खिलाना चाहिए।
4. बुधवार के दिन गणेशजी के मंदिर में मूँग के लड्डुओं का भोग लगाएँ तथा बच्चों को बाँटें।
5. घर में खंडित एवं फटी हुई धार्मिक पुस्तकें एवं ग्रंथ नहीं रखने चाहिए।
6. अपने घर में कंटीले पौधे, झाड़ियाँ एवं वृक्ष नहीं लगाने चाहिए। फलदार पौधे लगाने से बुध ग्रह की अनुकूलता बढ़ती है।
7. तोता पालने से भी बुध ग्रह की अनुकूलता बढ़ती है।
8. बुध के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपाय हेतु बुधवार का दिन, बुध के नक्षत्र (आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती) तथा बुध की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

मन्त्र : ऊं ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:
(Om Bram Brim Brom Sah Budhay Namah)
दिशा : पूर्व या उत्तर 
आसन : हरा
कुल जाप : 9000 या 84 माला
समय : सुबह
माला : रुद्राक्ष या पन्ना की

Tuesday, 9 June 2015

चन्द्रमा के उपाय

दान
चन्द्रमा के नीच अथवा मंद होने पर शंख का दान करना उत्तम होता है. इसके अलावा सफेद वस्त्र, चांदी, चावल, भात एवं दूध का दान भी पीड़ित चन्द्रमा वाले व्यक्ति के लिए लाभदायक होता है. जल दान अर्थात प्यासे व्यक्ति को पानी पिलाना से भी चन्द्रमा की विपरीत दशा में सुधार होता है. अगर आपका चन्द्रमा पीड़ित है तो आपको चन्द्रमा से सम्बन्धित रत्न दान करना चाहिए. चन्दमा से सम्बन्धित वस्तुओं का दान करते समय ध्यान रखें कि दिन सोमवार हो और संध्या काल हो. ज्योतिषशास्त्र में चन्द्रमा से सम्बन्धित वस्तुओं के दान के लिए महिलाओं को सुपात्र बताया गया है अत: दान किसी महिला को दें. आपका चन्द्रमा कमज़ोर है तो आपको सोमवार के दिन व्रत करना चाहिए. गाय को गूंथा हुआ आटा खिलाना चाहिए तथा कौए को भात और चीनी मिलाकर देना चाहिए. किसी ब्राह्मण अथवा गरीब व्यक्ति को दूध में बना हुआ खीर खिलाना चाहिए. सेवा धर्म से भी चन्द्रमा की दशा में सुधार संभव है. सेवा धर्म से आप चन्द्रमा की दशा में सुधार करना चाहते है तो इसके लिए आपको माता और माता समान महिला एवं वृद्ध महिलाओं की सेवा करनी चाहिए.कुछ मुख्य बिन्दु निम्न है-

1. व्यक्ति को देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए। रात्रि के समय घूमने-फिरने तथा यात्रा से बचना चाहिए। रात्रि में ऐसे स्थान पर सोना चाहिए जहाँ पर चन्द्रमा की रोशनी आती हो।
2. ऐसे व्यक्ति के घर में दूषित जल का संग्रह नहीं होना चाहिए।
3. वर्षा का पानी काँच की बोतल में भरकर घर में रखना चाहिए।
4. वर्ष में एक बार किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान अवश्य करना चाहिए।
5. सोमवार के दिन मीठा दूध नहीं पीना चाहिए।
6. सफेद सुगंधित पुष्प वाले पौधे घर में लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिए।

मन्त्र : ऊं श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नम:
(Om Shram Shrim Shrom Sah Chandramase Namah)
दिशा : पूर्व या उत्तर 
आसन : सफेद
कुल जाप : 11000 या  102 माला
समय : सुबह
माला : रुद्राक्ष या मोती की

क्या न करें
ज्योतिषशास्त्र में जो उपाय बताए गये हैं उसके अनुसार चन्द्रमा कमज़ोर अथवा पीड़ित होने पर व्यक्ति को प्रतिदिन दूध नहीं पीना चाहिए. स्वेत वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए. सुगंध नहीं लगाना चाहिए और चन्द्रमा से सम्बन्धित रत्न नहीं पहनना चाहिए.

Friday, 15 May 2015

सूर्य के उपाय

दान
दान के विषय में शास्त्र कहता है कि दान का फल उत्तम तभी होता है जब यह शुभ समय में सुपात्र को दिया जाए। सूर्य से सम्बन्धित वस्तुओं का दान रविवार के दिन दोपहर में ४० से ५० वर्ष के व्यक्ति को देना चाहिए. सूर्य ग्रह की शांति के लिए रविवार के दिन व्रत करना चाहिए. गाय को गेहुं और गुड़ मिलाकर खिलाना चाहिए. किसी ब्राह्मण अथवा गरीब व्यक्ति को गुड़ का खीर खिलाने से भी सूर्य ग्रह के विपरीत प्रभाव में कमी आती है. अगर आपकी कुण्डली में सूर्य कमज़ोर है तो आपको अपने पिता एवं अन्य बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं. प्रात: उठकर सूर्य नमस्कार करने से भी सूर्य की विपरीत दशा से आपको राहत मिल सकती है.

1. सूर्य को बली बनाने के लिए व्यक्ति को प्रातःकाल सूर्योदय के समय उठकर लाल पुष्प वाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए।
2. रात्रि में ताँबे के पात्र में जल भरकर सिरहाने रख दें तथा दूसरे दिन प्रातःकाल उसे पीना चाहिए।
3. ताँबे का कड़ा दाहिने हाथ में धारण किया जा सकता है।
4. लाल गाय को रविवार के दिन दोपहर के समय दोनों हाथों में गेहूँ भरकर खिलाने चाहिए। गेहूँ को जमीन पर नहीं डालना चाहिए।
5. किसी भी महत्त्वपूर्ण कार्य पर जाते समय घर से मीठी वस्तु खाकर निकलना चाहिए।
6. हाथ में मोली (कलावा) छः बार लपेटकर बाँधना चाहिए।
7. लाल चन्दन को घिसकर स्नान के जल में डालना चाहिए।
8. सूर्य के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपाय हेतु रविवार का दिन, सूर्य के नक्षत्र (कृत्तिका, उत्तरा-फाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा) तथा सूर्य की होरा में अधिक शुभ होते हैं।

मन्त्र : ऊं ह्रां ह्रीं ह्रों स: सूर्याय नम:
(Om Hram Hrim Hrom Sah Suryay Namah)
दिशा : पूर्व 
आसन : लाल
कुल जाप : 7000 या  माला
समय : सुबह
माला : रुद्राक्ष या रूबी

क्या न करें
आपका सूर्य कमज़ोर अथवा नीच का होकर आपको परेशान कर रहा है अथवा किसी कारण सूर्य की दशा सही नहीं चल रही है तो आपको गेहूं और गुड़ का सेवन नहीं करना चाहिए. इसके अलावा आपको इस समय तांबा धारण नहीं करना चाहिए अन्यथा इससे सम्बन्धित क्षेत्र में आपको और भी परेशानी महसूस हो सकती है.

Thursday, 26 February 2015

लाल किताब के अचूक उपाय

प्रत्येक जातक की कुंडली में अशुभ ग्रहों की स्थिति अलग-अलग रहती है, परंतु कुछ कर्मों के आधार पर भी ग्रह आपको अशुभ फल देते हैं। व्यक्ति के कर्म-कुकर्म के द्वारा किस प्रकार नवग्रह के अशुभ फल प्राप्त होते हैं, आइए जानते हैं :

चंद्र : सम्मानजनक स्त्रियों को कष्ट देने जैसे, माता, नानी, दादी, सास एवं इनके पद के समान वाली स्त्रियों को कष्ट देने एवं किसी से द्वेषपूर्वक ली वस्तु के कारण चंद्रमा अशुभ फल देता है।

बुध : अपनी बहन अथवा बेटी को कष्ट देने एवं बुआ को कष्ट देने, साली एवं मौसी को कष्ट देने से बुध अशुभ फल देता है। इसी के साथ हिजड़े को कष्ट देने पर भी बुध अशुभ फल देता है।

गुरु : अपने पिता, दादा, नाना को कष्ट देने अथवा इनके समान सम्मानित व्यक्ति को कष्ट देने एवं साधु संतों को कष्ट देने से गुरु अशुभ फल देता है।

सूर्य : किसी का दिल दुखाने (कष्ट देने), किसी भी प्रकार का टैक्स चोरी करने एवं किसी भी जीव की आत्मा को ठेस पहुँचाने पर सूर्य अशुभ फल देता है।

शुक्र : अपने जीवनसाथी को कष्ट देने, किसी भी प्रकार के गंदे वस्त्र पहनने, घर में गंदे एवं फटे पुराने वस्त्र रखने से शुभ-अशुभ फल देता है।

मंगल : भाई से झगड़ा करने, भाई के साथ धोखा करने से मंगल के अशुभ फल शुरू हो जाते हैं। इसी के साथ अपनी पत्नी के भाई (साले) का अपमान करने पर भी मंगल अशुभ फल देता है।

शनि : ताऊ एवं चाचा से झगड़ा करने एवं किसी भी मेहनतम करने वाले व्यक्ति को कष्ट देने, अपशब्द कहने एवं इसी के साथ शराब, माँस खाने पीने से शनि देव अशुभ फल देते हैं। कुछ लोग मकान एवं दुकान किराये से लेने के बाद खाली नहीं करते अथवा उसके बदले पैसा माँगते हैं तो शनि अशुभ फल देने लगता है।

राहु : राहु सर्प का ही रूप है अत: सपेरे का दिल ‍दुखाने से, बड़े भाई को कष्ट देने से अथवा बड़े भाई का अपमान करने से, ननिहाल पक्ष वालों का अपमान करने से राहु अशुभ फल देता है।

केतु : भतीजे एवं भांजे का दिल दुखाने एवं उनका हक ‍छीनने पर केतु अशुभ फल देना है। कुत्ते को मारने एवं किसी के द्वारा मरवाने पर, किसी भी मंदिर को तोड़ने अथवा ध्वजा नष्ट करने पर इसी के साथ ज्यादा कंजूसी करने पर केतु अशुभ फल देता है। किसी से धोखा करने व झूठी गवाही देने पर भी राहु-केतु अशुभ फल देते हैं।

अत: मनुष्य को अपना जीवन व्यवस्‍िथत जीना चाहिए। किसी को कष्ट या छल-कपट द्वारा अपनी रोजी नहीं चलानी चाहिए। किसी भी प्राणी को अपने अधीन नहीं समझना चाहिए जिससे ग्रहों के अशुभ कष्ट सहना पड़े।

लाल किताब के अनुसार सरल उपाय

हम सभी जानते है की कुंडली कुल बारह भाव होते है सभी भावे के अलग-अलग स्वामी होते है … आप अपनी कुंडली में खुद ही देर्ख सकते है की किस भाव में कौन सा गृह ख़राब है , और उसका उपाय कैसे करें. जहाँतक हो सके उपाय किसी विद्वान पंडित से ही कुंडली दिखाकर कराएँ अन्यथा लाभ के बजे हनी भी हो सकती है .

लाल किताब के अनुसार जिस ग्रह से संबंधित वस्‍तुओं को॰ प्रथम भाव में पहुंचाना हो उसे गले में पहनिए॰ दूसरे भाव में पहुंचाने के लिए मंदिर में रखिए॰ तीसरे भाव में पहुंचाने के लिए संबंधित वस्‍तु को हाथ में धारण करें॰ चौथे भाव में पहुंचाने के लिए पानी में बहाएं॰ पांचवे भाव के लिए स्‍कूल में पहुंचाएं,॰ छठे भाव में पहुंचाने के लिए कुएं में डालें॰ सातवें भाव के लिए धरती में दबाएं॰ आठवें भाव के लिए श्‍मशान में दबाएं॰ नौंवे भाव के लिए मंदिर में दें॰ दसवें भाव के लिए पिता या सरकारी भवन को दें॰ ग्‍यारहवें भाव का उपाय नहींऔर बारहवें भाव के लिए ग्रह से संबंधित चीजें छत पर रखें।

Sunday, 8 February 2015

दाम्पत्य जीवन के क्लेश को दूर करने के उपाय

तो दाम्पत्य जीवन में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन कारणों से गृह कलेश होता है. यही कारण इतने बढ़ जाते है कि जिनसे परिवार का हर सदस्य प्रभावित होने लगता है और घर में अशांति का वास हो जाता है. तो घर को क्लेश मुक्त करने के लिए आप कुछ उपाय अपना सकते हो जो निम्नलिखित है –

-    आप हर पूर्णिमा के दिन सुबह सुबह नहा कर घर के मुख्य दरवाजे पर आम के ताज़े पत्तो से एक बेल बना कर टांग ले. इससे आपके घर में गृह क्लेश कभी भी प्रवेश नही कर सकता.

-    अगर आपके दाम्पत्य जीवन में कलेश है तो आप उसके निवारण के लिए एक स्फटिक का शिवलिंग अपने घर के मंदिर में रख ले और रोज़ सुबह उस पर दूध चढ़ाये. साथ ही आप रोज ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करे.

-    आप अपने घर के हर कमरे में शंख की ध्वनी को पूजा के बाद बजाये इससे घर में सुख, शांति, बढती है और घर रोगमुक्त होता है. साथ ही घर में देवी महालक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है.

-    अगर आपके घर में काफी समय से कुछ ऐसा सामान पड़ा है जिसका आप उपयोग नही करते, जैसेकि रद्दी कागज, पुराने कपडे, टूटी फूटी मशीन, टुटा हुआ आइना, टुटा हुआ फोटो फ्रेम, इत्यादि तो आप इन सबको अपने घर से निकल दे क्योकि ऐसी चीज़े घर में नकारात्मक उर्जा प्रवाहित करती है. जिससे घर में अशांति और कलह का माहौल बन जाता है. अगर आपके घर में कुछ पौराणिक या धार्मिक किताबे भी है जिन्हें आप नही पढ़ते तो आप उनको किसी नदी में प्रवाहित कर सकते हो या फिर आप उन्हें किसी मंदिर में दान कर सकते हो.

-    आप हर पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान करे. उसके बाद आप थोड़ी हल्दी ले और उसमे थोडा पानी मिला कर एक पेस्ट जैसा बना ले. फिर आप उससे अपने घर के मुख्य दरवाजे पर ॐ बनाये. ऐसा करने से आपके जीवन में कभी ग्रह क्लेश प्रवेश नही करता.

-    इसके अलावा एक ऐसा उपाय है जो आप बड़ी ही आसानी से रोज़ इस्तेमाल कर सकते है. इस उपाय को अपनाने के लिए आप फर्श पर पोंछा लगाने से पहले बाल्टी के पानी में थोडा नमक डाल ले. उसके बाद पोंछा लगाये. इसके बाद आप अपने घर के हर कमरे में अगरबती लगा दे. इसे घर का वातावरण शुद्ध होता है और घर में पवित्रता का वास होता है.

-    साथ ही आप रोज पूजा से पहले एक बड़ा दक्षिणावर्ती शंख लेकर उसमे जल भर कर रख दे. फिर आप उस पानी को पूजा से पहले पूजा के स्थान और पूजा में सम्मिलित सभी लोगो पर छिड़क दे. इस शंख के जल से न सिर्फ आपके पापो का नाश होता है बल्कि ये घर के वातावरण में मधुरता लाता है जिसे घर में कलह की सम्भावना भी खत्म हो जाती है.

-    आपको रोज सुबह 11 बार गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए, इससे आपके मन मस्तिष्क को शांति मिलती है. और आप खूद ही घर में क्लेश करने से बचते हो.

-    आप सुबह पूजा के दौरान कपूर का इस्तेमाल करे इससे आपके घर से नकारात्मक उर्जा दूर होती है.

-    अगर आपके घर के इशान कोण में कूड़ा कचरा, धुल, गन्दगी हो तो आप उसे साफ कर दे क्योंकि ये दिशा भगवान शिव की होती है. इसीलिए आपके घर के हर कमरे का इशान कोण बहुत अहम होता है.

-    आप अपने घर में लाफिंग बुद्धा को भी रखे लेकिन याद रखे कि वो किसी के द्वारा गिफ्ट किया हुआ न हो और घर में उसका मुख हमेशा मुख्य द्वार की तरफ होना चाहिए.

-    कहा जाता है कि घर की रसोई घर की आत्मा होती है. तो आप अपने घर की रसोई का विशेष ध्यान रखे. अगर आपकी रसोई आग्नेय कोण में है तो आप वहां रोज लाल रंग का बल्ब या फिर सरसों के तेल का दीपक जलाये. इस उपाय को आप कम से कम 40 दिन तक करे.

-    अगर आपका आग्नेय अशुभ है तो आप मंगल देवता व शुक्र देव के निमित दान, जाप और मंगल यन्त्र, शुक्र यंत्र की आराधना करे, इससे आपको लाभ मिलेगा और आपके घर में सुख शांति का वास होगा.

-    इसके अलावा आप हर शुक्रवार को ब्राहमण को दही, चीनी, चावल व श्वेत वस्त्र का दान भी अवश्य करे.

-    इसके अलावा आप गाय की रोटी पर देशी घी को लगाकर उसे गुड के साथ लगाकर गाय को  अवश्य दे. इससे भी आपके घर में सुख समृधि बढ़ेगी और आपके जीवन से गृह क्लेश ख़त्म होगा.

-    जब किसी वर वधु का विवाह हो रहा हो, तो वर वधु के बीच प्रेम संबंध को गहरा करने के लिए आप साबुत उड़द में मेहँदी मिलकर जिस दिशा में वर वधु का घर हो उस तरफ फेंके, इससे उनके बीच प्रेम तो बढ़ेगा ही साथ ही उनके बीच कभी क्लेश की स्थिति भी पैदा नही होगी. इस उपाय को आप विवाह स्थल पर ही करे.

-    आप जामुन के पत्तो को शनिवार को लाकर अपने शयन कक्ष में रख दे, इससे पति पत्नी के बीच का कलह दूर होता है और उनके जीवन में मधुरता आएगी.

Sunday, 1 February 2015

बीज मन्त्रों का प्रयोग

24 बीज मंत्रो का अपना अपना एक स्थान है लेकिन कुछ ऐसे है जिनका उपयोग अनेक स्थानों पर होता है, उन्ही के बारे में हम आपको बता रहे है –

· ॐ – सभी बीज मंत्रो में सबसे ज्यादा जाना जाने वाला बीज मंत्र है. इसको प्रणव और अभिनन्दन मानता के रूप में भी जाना जाता है. साथ ही इसको काम का रूप भी बताया जाता है, जिसे महाकाल ने बनाया था. इसी मंत्र को निर्माण, बनाये रखने और संहार के लिए भी जाना जाता है.

· श्रीम् – इस बीज मंत्र को विष्णुप्रिय भी कहा जाता है क्योकि माना जाता है कि ये मंत्र भगवान विष्णु को बहुत प्रिय होता है, कई जगह इस मंत्र को भगवन विष्णु जी की पत्नी देवी लक्ष्मी का भी रूप कहा जाता है.

· ह्रीं – ह्रीं बीज मंत्र को माया बीज भी कहा जाता है. साथ ही इसे रौद्री के रूप में भी जाना जाता है.

· क्लीम् – इस बीज मंत्र को पित्रीभूवासिनी के नाम से जाना जाता है. पित्रीभूवासिनी एक देवी है जो हमारे पूर्वजो और पितृ की रक्षा करती है. इसको डरावना और क्लेदाना बीज भी कहा जाता है.

· हुम् – इस बीज को कूर्चा बीज भी कहा जाता है और इसे सभी मंत्रो की माता माना जाता है. इस मंत्रो का प्रयोग वीरो की माता करती है.

· क्रोम् – क्रोम् बीज को क्रोधिषा बीज कहा जाता है इसको अग्नि को चढ़ाव देते समय इस्तेमाल किया जाता है.

· क्लीम् – इस बीज से मनुष्य में वासना का भाव उत्पन्न होता है. इसको तीन संसारो का बीज मंत्र भी माना जाता है और इसका दूसरा नाम काम है.

· फट – इन चौबीस बीजो के अलावा एक बीज फट भी है, इस बीज को अग्नि बीज के रूप में भी जाना जाता है. इसका उपयोग पूजा में अंतिम समय में किया जाता है.

Monday, 26 January 2015

मंगल ग्रह पीड़ा को कैसे शांत करें

मंगल  :  और जिन व्यक्तियों के जन्म का नक्षत्र मंगल है और उनके नक्षत्र का स्वामी मंगल है, उन्हें ये उपाय अपनाने चाहिए.

1. इस नक्षत्र के व्यक्तियों को अपने संकतो से मुक्ति पाने के लिए मंगलवार के दिन और अपने नक्षत्र वाले दिन ताम्बे के लोटे में जल डालकर पीपल के वृक्ष को अर्पण करना चाहिए.

2. साथ ही मंगल नक्षत्र के व्यक्तियों को हर मंगलवार के दिन प्रातकाल पीपल के पेड़ को लाल पुष्प अर्पित करने चाहिए.

3. इसके अलावा इन्हें अपने नक्षत्र वाले दिन और साथ ही मंगलवार के दिन भी पीपल की वृक्ष की 8 परिकर्मा अवश्य करनी चाहिए, ऐसा करने से इनके जीवन से सभी दुखो का नाश होगा.

4. मंगल नक्षत्र के लोगो को अपने नक्षत्र वाले दिन पीपल के वृक्ष के लाल पत्तो को कुछ समय के लिए अपने नहाने के जल में मिला लेना चाहिए और उसके बाद स्नान करना चाहिए.

5.  इन व्यक्तियों को अधिक लाभ पाने के लिए अपने नक्षत्र वाले दिन किसी मार्ग के किनारे पर 1 या 8 पीपल के वृक्षों को लगाना चाहिए.

6.  साथ ही ये लोग हर मंगलवार के दिन सुबह पीपल के पेड़ के नीचे कुछ शक्कर जरुर डाले, आपको लाभ जरुर प्राप्त होगा.

Friday, 23 January 2015

पीपल का पेड़ करेगा आपके दुःख दूर

गीता के अनुसार भगवान श्री कृष्णा ने कहा है कि “ मै ( श्री कृष्ण ) वृक्षों में पीपल हूँ और जो भी पुरे श्रद्धा के साथ इस वृक्ष की सेवा करता है उसे लाभ की अनुभूति अवश्य होगी ”. इसिलिया ग्रंथो में वृक्षों में पीपल के पेड़ को देवो का देव भी कहा गया है. पीपल की सेवा के लिए आप प्रत्येक शनिवार को पीपल के वृक्ष पर दूध, जल, शक्कर, शहद, काले तिल, गंगा जल और गुड को जल में मिला का चढ़ाये, इसके साथ आप एक आटे के दीपक में सरसों का तेल डाल कर उसे जलाये, दीपक में आप एक लोहे की कील व 11 साबुत उड़द की दाल के दाने भी डाल दे और धुप जला कर दिये के साथ पीपल के पेड़ को अर्पित करे. इसके बाद आप पीपल के वृक्ष की 11 बार परिकर्मा करते हुए, अपने बाये हाथ से पीपल के वृक्ष की जड़ो को स्पर्श करे और अपने माथे पर लगाये. इन उपायों को करने से भगवान शनि देव की कृपा आप पर बनी रहेगी और आप दुखो से दूर रह पाओगे.

ये उपाय आपको निमंलिखित समस्याओ से दूर रखेंगे.

· शत्रुओ से परेशानी : अगर आपकी किसी के साथ शत्रुता है और आपका शत्रु आपको परेशान कर रहा है तो आप ऊपर दिए हुए उपायों को करे और साथ ही आप पीपल के वृक्ष के नीचे बैठ कर हनुमान चालीसा का भी पाठ जरुर करे. इस तरह से आपको आपके शत्रुओ से जुडी सभी परेशानियों से मुक्ति मिलेगी साथ ही आपके शत्रुओ का नाश होगा.

· कन्या का दुःख में होना : अगर किसी कन्या की जन्म पत्रिका में प्रबल वैधव्य योग है जिसकी वजह से उसको अपने जीवन में दुखो का सामना करना पड़ रहा है तो उस कन्या को ऊपर दिए गये उपायों को पुरे मन से कम से कम 1 साल तक के लिए जरुर करना चाहिए, तभी उसके दुखो का निवारण होगा और उसके जीवन में भी सुख होंगे.

· ब्रहस्पति देव का अशुभ स्थिति में होना : अगर आपकी राशी में ब्रहस्पति देव जी मजबूत स्थिति में नही है तो आप ब्रहस्पति देव की अशुभता को दूर करने के लिए केले के और पीपल के वृक्षों की नियमित रूप से सेवा करे. ऐसा करने से ब्रहस्पति देव की स्थिति मजबूत होगी और आपको भी अपने जीवन में इसका लाभ मिलेगा.

· विशेष कार्य को सिद्ध करने के लिए : अगर आपका कोई विशेष कार्य संपन्न नही हो पा रहा है तो आप उसे पूरा करने के लिए शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष के पास जाये और पीपल के वृक्ष से अपने कार्य को पूरा करने के लिए निवदेन करे, उसके बाद आप ऊपर दिए गये उपाय को करे, साथ ही आप पीपल के पेड़ के सामने एक बड़ी सी लोहे की कील को गाड दे, आपका कार्य जरुर पूरा होगा और जब आपका कार्य पूरा हो जाये तो आप उस कील को वापस निकल दे.

· शरीर के दर्द को दूर करने के लिए : अगर आप अपने हाथो – पैरो के दर्द और कमर के दर्द से परेशान है साथ ही आपके शरीर में भी दर्द होता है और आप थकान महसूस करते है तो आप एक काले कपडे में पीपल के वृक्ष की जड़ या फिर उसकी लकड़ी को बंध ले और उसे आप अपने बिस्तर के सिरहाने रख ले. लेकिन इसके साथ साथ आप ऊपर दिए के उपायों के अनुसार पीपल की सेवा करना न भूले. कुछ समय के पश्चात आपको महसूस होगा कि आपके शरीर का दर्द खत्म हो रहा है और आप दर्द मुख हो रहे है.

· लगातार हो रहे नुकसान को रोकने के लिए : यदि आपको आपके हर काम में नुकसान का सामना करना पड़ रहा है और आपका धन भी धीरे धीरे कम होता जा रहा है तो आप निराश न हो बल्कि आप पीपल के वृक्ष का एक पत्ता ले और उस पर ॐ लिख कर अपनी तिजोरी या उस स्थान पर रख ले जहाँ आप अपना धन रखते है. ऐसा आप कम से कम 8 शनिवार जरुर करे, कुछ समय बात आपको आभास होगा कि आपका नुकसान होना बंद हो गया है और आपका धन भी बढ़ने लगा है.

· जीवन की समस्याओ को दूर करने के लिए : यदि आपके सभी कार्यो में बाधाये उत्तपन होती है जिसकी वजह से आपका कोई भी कार्य सफल नही हो रहा है और आपको हर जगह असफलता ही हाथ लग रही है तो आप शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के पास जाये और पीपल के वृक्ष के 8 पत्तो को एक साथ एक काले धागे से, एक गाँठ में बाँध ले. फिर जब आप अगले शनिवार को वृक्ष के पास जाये तो आप एक गांठ और लगा दे पर आप पहली वाली गांठ को उतार कर बहते हुए पानी में डाल दे, ऐसा करने से आपके जीवन की सारी समस्याए भी एक एक करके बहते पानी में गांठो की तरह ही बह जाएगी.

· शिवलिंग की पूजा : शिवलिंग शिव जी की प्रतिमा मानी जाती है तो उनकी पूजा के लिए हर सोमवार के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे शिवलिंग को रख दे. उसके बाद आप ॐ नमः शिवाय का नियमित रूप से जाप करे और शिवलिंग का जलाभिषेक करे. ऐसा करने से आपके और आपके परिवार के जीवन से सभी दुखो का नाश होगा और आपके परिवार में सुख समृद्धि का भी वास होगा.

Monday, 5 January 2015

बुरे योग जिनका निवारण जरुरी है

 कुंडली में हम सामान्यतः राज योगों  की ही खोज करते हैं, किन्तु कई बार स्वयं ज्योतिषी व कई बार जातक  इन दुर्योगों को नजरअंदाज कर जाता है,जिस कारण बार बार संशय होता है की क्यों ये राजयोग फलित नहीं हो रहे.आज ऐसे ही कुछ दुर्योगों के बारे में बताने का प्रयास कर रहा हूँ,जिनके प्रभाव से जातक कई योगों से लाभान्वित होने से चूक जाते हैं.सामान्यतः पाए जाने वाले इन दोषों में से कुछ इस प्रकार हैं..                                                                                        

१. ग्रहण योग: कुंडली में कहीं भी सूर्य अथवा चन्द्र की युति राहू या केतु से हो जाती है तो इस दोष का निर्माण होता है.चन्द्र ग्रहण योग की अवस्था में जातक डर व घबराहट महसूस करता है.चिडचिडापन उसके स्वभाव का हिस्सा बन जाता है.माँ के सुख में कमी आती है.किसी भी कार्य को शुरू करने के बाद उसे सदा अधूरा छोड़ देना व नए काम के बारे में सोचना इस योग के लक्षण हैं.अमूमन किसी भी प्रकार के फोबिया अथवा किसी भी मानसिक बीमारी जैसे डिप्रेसन ,सिज्रेफेनिया,आदि इसी योग के कारण माने गए हैं.यदि यहाँ चंद्रमा अधिक दूषित हो जाता है या कहें अन्य पाप प्रभाव में भी होता है,तो मिर्गी ,चक्कर व मानसिक संतुलन खोने का डर भी होता है.    सूर्य द्वारा बनने वाला ग्रहण योग पिता सुख में कमी करता है.जातक का शारीरिक ढांचा कमजोर रह जाता है.आँखों व ह्रदय सम्बन्धी रोगों का कारक बनता है.सरकारी नौकरी या तो मिलती नहीं या उस में निबाह मुस्किल होता है.डिपार्टमेंटल इन्क्वाइरी ,सजा ,जेल,परमोशन में रुकावट सब इसी योग का परिणाम है.

२. चंडाल योग: गुरु की किसी भी भाव में राहू से युति चंडाल योग बनती है.शरीर पर घाव का एक आध चिन्ह लिए ऐसा जातक भाग्यहीन होता है.आजीविका से जातक कभी संतुष्ट नहीं होता,बोलने में अपनी शक्ति व्यर्थ करता है व अपने सामने औरों को ज्ञान में कम आंकता है जिस कारण स्वयं धोखे में रहकर पिछड़ जाता है.ये योग जिस भी भाव में बनता है उस भाव को साधारण कोटि का बना देता है.मतान्तर से कुछ विद्वान् राहू की दृष्टी गुरु पर या गुरु की  केतु से युति को भी इस योग का लक्षण मानते हैं.

३.दरिद्र योग: लग्न या चंद्रमा से चारों केंद्र स्थान खाली हों या चारों केन्द्रों में पाप ग्रह हों तो दरिद्र योग होता है.ऐसा जातक अरबपति के घर में भी जनम ले ले तो भी उसे आजीविका के लिए भटकना पड़ता है,व दरिद्र जीवन बिताने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

४. शकट योग: चंद्रमा से छटे या आठवें भाव में गुरु हो व ऐसा गुरु लग्न से केंद्र में न बैठा हो तो शकट योग का होना माना गया है.  ऐसा जातक जीवन भर किसी न किसी कर्ज से दबा रहता है,व सगे सम्बन्धी उससे घृणा करते हैं.वह अपने जीवन में अनगिनत उतार चढ़ाव देखता है.ऐसा जातक गाड़ी चलाने वाला भी हो सकता है.

५.उन्माद योग: (a) यदि लग्न में सूर्य हो व सप्तम में मंगल हो, (b) यदि लग्न में शनि और सातवें ,पांचवें या नवें भाव में मंगल हो (c) यदि धनु लग्न हो व लग्न- त्रिकोण में सूर्य-चन्द्र  युति हों साथ ही गुरु तृतीय भाव या किसी भी केंद्र में हो तो गुरुजनों द्वारा उन्माद योग की पुष्टि की गयी है.जातक जोर जोर से बोलने वाला ,व गप्पी होता है.ऐसे में यदि ग्रह बलिष्ट हों तो जातक पागल हो जाता है.

६. कलह योग: यदि चंद्रमा  पाप ग्रह के साथ राहू से युक्त हो १२ वें ५ वें या ८ वें भाव में हो तो कलह योग माना गया है.जातक के सारे जीवन भर किसी न किसी बात कलह होती रहती है व अंत में इसी कलह के कारण तनाव में ही उसकी मृत्यु हो जाती है.

नोट: लग्न से घड़ी के विपरीत गिनने पर चौथा-सातवां -दसवां भाव केंद्र स्थान होता है.पंचम व नवं भाव त्रिकोण कहलाते हैं. साथ ही लग्न की गिनती केंद्र व त्रिकोण दोनों में होती है.

ऐसे ही कई प्रकार के योग और भी हैं जिनकी चर्चा फिर कभी करेंगे.फिलहाल यदि इन योगों में से कोई योग आपको अपनी कुंडली में दिखाई पड़ता है तो किसी योग्य ब्रह्मण द्वारा इसका उचित निवारण कराएँ.लेख आपको कैसा लगा ये जरूर बताएं ,चर्चाओं का दौर जारी रहा तो इन योगों का निवारण भी इसी ब्लॉग के द्वारा बताऊंगा.    
( आपसे प्रार्थना है कि  कृपया लेख में दिखने वाले विज्ञापन पर अवश्य क्लिक करें ,इससे प्राप्त आय मेरे द्वारा धर्मार्थ कार्यों पर ही खर्च होती है। अतः आप भी पुण्य के भागीदार बने   )